World Asthma Day 2025: कहीं आपकी खांसी अस्थमा तो नहीं? इन संकेतों को न करें नजरअंदाज

World Asthma Day 2025: हर साल मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इस साल यह 6 मई को मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं अस्थमा के उन शुरूआती लक्षणों के बारे में जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

World Asthma Day 2025: हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को 'विश्व अस्थमा दिवस' (World Asthma Day) मनाया जाता है. इस बार यह दिन 6 मई को मनाया जा रहा है. इस दिन का उद्देश्य अस्थमा के प्रति जागरूकता फैलाना और लोगों को इस श्वसन रोग की गंभीरता को समझाना है. दुनियाभर में करोड़ों लोग अस्थमा से पीड़ित हैं, लेकिन भारत जैसे देशों में इसका समय पर निदान और सही इलाज न मिल पाने के कारण स्थिति और भी खराब हो जाती है. विश्व अस्थमा दिवस का मकसद सिर्फ जानकारी देना नहीं, बल्कि लोगों को प्रोत्साहित करना है कि वे अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें. 

अस्थमा एक ऐसा रोग है जो फेफड़ों की वायुमार्गों को प्रभावित करता है और सांस लेने में तकलीफ पैदा करता है. कई बार सामान्य सी दिखने वाली खांसी या सांस फूलना इसके आरंभिक लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन अगर समय रहते इन संकेतों को पहचाना जाए, तो अस्थमा पर काबू पाना मुमकिन है. 

क्या है अस्थमा?

अस्थमा एक क्रॉनिक बीमारी है जो फेफड़ों की वायुमार्गों में सूजन और संकुचन पैदा करती है. इससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है, खासकर ठंडी हवा, धूल, धुएं, परागकण या मानसिक तनाव के संपर्क में आने पर. विशेषज्ञों के अनुसार, अस्थमा पूरी तरह से ठीक तो नहीं होता, लेकिन अगर समय पर पहचान हो जाए और सही इलाज मिले तो इसे पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है.

अस्थमा के सामान्य लक्षण

अगर आपको या आपके किसी परिचित को ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:

  1. बार-बार खांसी आना, खासकर रात में या सुबह के समय

  2. सांस फूलना या कम लगना

  3. सीने में जकड़न या दर्द

  4. सांस लेने पर सीटी जैसी आवाज (व्हीजिंग)

  5. थोड़ा चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर थकावट होना

बच्चों और बुज़ुर्गों में कैसे पहचानें?

बच्चों में अस्थमा का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि वे अक्सर सही तरीके से लक्षण नहीं बता पाते. अगर बच्चा रात में बार-बार खांसता है या खेलते वक्त जल्दी थक जाता है, तो यह संकेत हो सकते हैं. वहीं बुज़ुर्गों में यह समस्या अन्य बीमारियों के साथ मिलकर और भी गंभीर रूप ले सकती है.

अस्थमा का इलाज

अस्थमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इनहेलर, नेब्युलाइज़र और एंटी-एलर्जिक दवाओं से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है. इसके साथ ही जीवनशैली में बदलाव करना भी बेहद जरूरी है...

  • धूल, धुएं और पराग से बचाव

  • नियमित रूप से इनहेलर का इस्तेमाल

  • डॉक्टर द्वारा बताए गए मेडिकेशन का पालन

  • योग, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास

Disclaimer: ये आर्टिकल मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. JBT इसकी पुष्टि नहीं करता. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर्स की राय जरूर लें.

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06 May 2025, 06:01 PM IST

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