हिंदी थोपो, मुंबई तोड़ो’ प्लान फेल! ठाकरे भाइयों की ललकार से BJP बैकफुट पर!

करीब 20 साल बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर नजर आए. दोनों नेताओं ने हिंदी थोपने के खिलाफ एकजुट होकर बीजेपी पर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश रची जा रही थी.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Uddhav Thackeray Raj Thackeray: मुंबई में मराठी अस्मिता के नाम पर इतिहास रचते हुए शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे दो दशक बाद एक ही मंच पर नजर आए. यह मंचन केवल भावनात्मक नहीं बल्कि राजनीतिक तौर पर भी बेहद अहम माना जा रहा है, जहां दोनों ठाकरे बंधुओं ने हिंदी थोपने की केंद्र की नीति पर कड़ा विरोध जताया और संकेत दिए कि भविष्य में दोनों दल एक साथ आ सकते हैं.

यह सभा ऐसे वक्त पर हुई जब राज्य सरकार ने स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के दो सरकारी प्रस्तावों को वापस ले लिया. ठाकरे बंधुओं ने इसे केवल भाषा का मुद्दा नहीं, बल्कि एक बड़ी साजिश करार दिया मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की कोशिश.

हिंदी थोपने का मकसद मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना: राज ठाकरे

राज ठाकरे ने अपने भाषण में कहा कि यह तीन-भाषा फार्मूला शिक्षा सुधार नहीं बल्कि राजनीतिक प्रयोग था. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार यह देखना चाहती थी कि क्या इस बहाने मुंबई को महाराष्ट्र से अलग किया जा सकता है. राज ठाकरे ने चेताया, "अगर ये हिंदी थोपने की कोशिश सफल होती, तो अगला कदम मुंबई को अलग करने का होता. लेकिन अब यह नाकाम हो गया है. दोबारा कोशिश करेंगे तो फिर से विरोध झेलना पड़ेगा."

मराठी को कमजोर कर मुंबई पर नियंत्रण चाहती है बीजेपी

राज ठाकरे ने कहा, "यह मुद्दा भाषा का नहीं, सत्ता और नियंत्रण का है. बीजेपी को लगता है कि अगर वो मराठी को कमजोर कर दें, तो मुंबई को अलग करना आसान होगा. लेकिन हमने यह साजिश नाकाम कर दी है."

NEP में भी हिंदी अनिवार्य नहीं, फिर क्यों थोपना?

उन्होंने कहा कि तीन-भाषा नीति केवल केंद्र और राज्य के तालमेल के लिए थी, न कि अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए. राज ठाकरे ने कहा, "NEP में भी हिंदी थोपने की बात नहीं है. ये प्रयोग महाराष्ट्र में इसलिए हुआ क्योंकि दक्षिण के राज्य उनकी नहीं सुनते.

पिछड़े हैं हिंदी बोलने वाले राज्य

राज ठाकरे ने कटाक्ष करते हुए कहा, "विडंबना देखिए हिंदी भाषी राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े हैं और गैर-हिंदी राज्य आगे हैं. फिर भी हमें हिंदी सिखाने की कोशिश की जा रही है. मैं हिंदी के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन जबरदस्ती नहीं चलेगी."

दिल से आता है मराठी का सम्मान 

बीजेपी व शिंदे गुट के नेताओं ने ठाकरे बंधुओं के बच्चों की अंग्रेजी-माध्यम में पढ़ाई को लेकर सवाल उठाए, जिस पर राज ने स्पष्ट कहा, "बालासाहेब इंग्लिश मीडियम में पढ़े थे, लेकिन उन्होंने कभी मराठी के लिए समझौता नहीं किया. मेरे दादा श्रीकांत ठाकरे ने भी इंग्लिश में पढ़ाई की थी. क्या उनकी मराठी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया जा सकता है?" उन्होंने कहा कि "भाषा से नहीं, भावना से मराठी प्रेम आता है."

राज ठाकरे ने अंत में चेताया कि "यह संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है. अब वे हमें जाति और धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश करेंगे. हमें इस जाल में नहीं फंसना है. यह मराठी एकता बनी रहनी चाहिए और बालासाहेब का सपना पूरा होना चाहिए."

यह सिर्फ राजनीति नहीं, विचारधारा की लड़ाई है: उद्धव ठाकरे

राज की बातों से सहमति जताते हुए उद्धव ने कहा कि यह गठबंधन केवल राजनीति नहीं बल्कि विचार और भाषा की रक्षा का संग्राम है. उद्धव ठाकरे ने कहा, "यह सिर्फ साथ आना नहीं है, यह साथ रहने की घोषणा है. यह मराठी के सम्मान की लड़ाई है."

डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर तंज कसते हुए उद्धव बोले, "वो खुद को 'पुष्पा' समझते हैं कहते हैं 'झुकेगा नहीं साला', लेकिन हकीकत में तो पहले ही बीजेपी के सामने झुक गए हैं. अब हाल ऐसा है कि उठेगा नहीं साला."

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05 July 2025, 05:04 PM IST

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