समय से पहुंचे एयरपोर्ट पर नहीं उड़ी फ्लाइट, घंटों तक भूखे-प्यासे रहे यात्री... अब एयरलाइन को यात्रियों को देने होंगे 50,000
दिल्ली एयरपोर्ट पर दो महिला यात्रियों को घंटों फ्लाइट देरी, बिना जानकारी, बिना एसी और बिना भोजन के रखा गया. उपभोक्ता आयोग ने Alliance Air को सेवा में लापरवाही का दोषी मानते हुए 50,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. आयोग ने यात्रियों को मानसिक पीड़ा और अपमान का हकदार माना. अब फ्लाइट लेट होने पर भी यात्रियों को न्याय और अधिकार मिलने लगे हैं.

Flight Delay Compensation : आज के समय में लोग यात्रा को तेज और सुविधाजनक बनाने के लिए फ्लाइट का सहारा लेते हैं, लेकिन कई बार एयरलाइंस की लापरवाही यात्रियों को भारी परेशानियों में डाल देती है. ऐसा ही एक मामला दिल्ली एयरपोर्ट पर सामने आया, जिसमें दो महिला यात्रियों को बिना किसी स्पष्ट कारण के घंटों तक विमान में इंतज़ार करवाया गया. अब उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में एयरलाइन को 50,000 रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया है, जो यात्रियों के अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
क्या है पूरा मामला ?
एयरलाइन ने मुआवजा देने से किया था इनकार
6 जून को दोनों महिलाओं ने Alliance Air को इस घटना की लिखित शिकायत भेजी, लेकिन एयरलाइन ने 17 जून को मुआवजा देने से इनकार कर दिया. जब कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो दोनों महिलाएं उपभोक्ता फोरम पहुंचीं.
उपभोक्ता आयोग का कड़ा रुख
दक्षिण-पश्चिम दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने पाया कि यह साफ तौर पर सेवा में गंभीर कमी का मामला है. आयोग के मुताबिक, बोर्डिंग के बाद विमान उड़ान के लिए पूरी तरह तैयार होना चाहिए था और यदि कोई तकनीकी समस्या थी, तो यात्रियों को सही जानकारी और जरूरी सुविधाएं देना एयरलाइन की जिम्मेदारी थी.
₹50,000 का मुआवज़ा देने का आदेश
वहीं इस पूरे मामले पर आयोग ने कहा कि चार घंटे तक बिना जानकारी के यात्रियों को बैठाए रखना और कोई सुविधा न देना उनके अधिकारों का उल्लंघन है. इसके लिए Alliance Air को दोनो यात्रियों को ₹50,000 का मुआवज़ा देने का आदेश दिया गया, जिसमें मानसिक पीड़ा, उत्पीड़न और कानूनी खर्च शामिल है.
क्या है इसका महत्व?
यह फैसला उन हजारों यात्रियों के लिए मिसाल बन सकता है जो फ्लाइट में देरी, खराब सेवा या एयरलाइंस की गैर-जवाबदेही का सामना करते हैं. अब यात्रियों को यह जानना ज़रूरी है कि उनके अधिकार हैं, और अगर कोई एयरलाइन उन्हें नजरअंदाज करती है, तो वो उपभोक्ता आयोग में शिकायत कर न्याय पा सकते हैं.


