score Card

मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी की ऐतिहासिक मुलाकात फाइनल, ट्रंप के टैरिफ वार और सीमा तनाव के बीच होगी बड़ी बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाक़ात 31 अगस्त को तय हो गई है। यह बैठक तियानजिन में एससीओ सम्मेलन के मौक़े पर होगी। वक़्त ऐसा है जब ट्रंप का टैरिफ वार और गलवान की तल्ख़ यादें दोनों देशों पर भारी हैं।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

International News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनफिंग की मुलाक़ात 31 अगस्त को तियानजिन में होगी। यह मुलाक़ात शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ सम्मेलन के दौरान होगी लेकिन दोनों नेता औपचारिक मंच से हटकर आपस में बैठेंगे। यह तय माना जा रहा है कि इस मुलाक़ात में कई अहम मुद्दों पर खुलकर गुफ़्तगू होगी। भारत और चीन के रिश्ते पिछले कुछ सालों से तनाव में रहे हैं। यही वजह है कि इस मुलाक़ात को केवल औपचारिक मुलाक़ात नहीं बल्कि बड़े सियासी फैसले की बुनियाद माना जा रहा है।

मोदी पहले जापान की दो दिवसीय यात्रा पूरी करेंगे और उसके बाद सीधे चीन जाएंगे। यह यात्रा राष्ट्रपति शी के निमंत्रण पर हो रही है। मोदी पहले एससीओ सम्मेलन में शिरकत करेंगे और फिर शी चिनफिंग से निजी मुलाक़ात करेंगे। कूटनीति के जानकार मानते हैं कि इस मुलाक़ात के ज़रिए दोनों मुल्क आपसी अविश्वास को कम करने की कोशिश करेंगे। भारत में भी इसे लेकर उम्मीदें बढ़ी हुई हैं कि रिश्तों में कुछ नरमी आ सकती है।

सात बरस बाद अहम सफ़र

मोदी की यह सात साल बाद पहली चीन यात्रा होगी। पिछली बार उन्होंने 2017 में चीन का दौरा किया था। इसके अलावा गलवान घाटी में 2020 में जो झड़प हुई थी उसने रिश्तों पर गहरी तल्ख़ी छोड़ दी थी। अब यह पहला मौक़ा है जब दोनों नेता आमने-सामने होंगे। इसलिए इस मुलाक़ात की नज़ाकत और अहमियत और भी बढ़ जाती है।

दोनों देशों की जनता भी जानना चाहती है कि क्या इस मुलाक़ात से कोई ठोस पैग़ाम निकलेगा। राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि यह सफ़र एशियाई संतुलन को प्रभावित करेगा। विपक्ष भी इस मुलाक़ात पर कड़ी नज़र रखे हुए है। मीडिया इसे इतिहास बनाने वाला क़दम बता रहा है।

गलवान मसले की परछाईं

गलवान घाटी में सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर दोनों देशों में आज भी तल्ख़ी है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि भले ही मुलाक़ात के एजेंडे में इसका नाम साफ तौर पर शामिल नहीं है लेकिन बातचीत में यह मुद्दा ज़रूर उठेगा। भारत के लिए यह इज़्ज़त और सरहद की सुरक्षा से जुड़ा मामला है और चीन के लिए भी यह एक सियासी दबाव का पहलू है। मुलाक़ात में मुस्कुराहट भले हो मगर सरहद की कसक दोनों तरफ मौजूद रहेगी। रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि बातचीत का असली इम्तिहान इसी मसले पर होगा। जवानों की शहादत की यादें अभी भी ताज़ा हैं। यही वजह है कि दोनों मुल्कों पर दबाव बहुत ज़्यादा है।

ट्रंप के टैरिफ वार का दबाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत और चीन दोनों पर टैरिफ का दबाव बढ़ा दिया है। भारत पर 50% ड्यूटी और चीन पर लगातार व्यापारिक हमले माहौल को और भी पेचीदा बना रहे हैं। ऐसे माहौल में मोदी और शी की मुलाक़ात एशिया की राजनीति को नई दिशा दे सकती है। शंघाई सहयोग संगठन का मंच भी इस संवाद को वज़न देगा क्योंकि इसमें रूस, पाकिस्तान और मध्य एशियाई मुल्क भी शामिल हैं। पूरी दुनिया की निगाहें इस मीटिंग पर टिकी हैं और लोग सोशल मीडिया पर भी यही पूछ रहे हैं कि क्या अब कोई ठोस नतीजा सामने आएगा। आर्थिक हलक़े मान रहे हैं कि टैरिफ वार ने भारत-चीन दोनों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कारोबारियों को भी इस मीटिंग से राहत की उम्मीद है। कूटनीतिक दबाव में यह बैठक और भी अहम हो गई है।

calender
28 August 2025, 02:36 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag